संस्‍थान परिचय 

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राजा रामन्ना प्रगत प्रौद्योगिकी केंद्र, परमाणु ऊर्जा विभाग भारत सरकार की एक इकाई है, जो लेजर, कण त्वरक तथा संबंधित प्रोद्योगिकियों के गैर नाभिकीय अग्रणी क्षेत्रों में हो रहे अनुसंधान तथा विकास में कार्यरत है।

Indus-2

राराप्रप्रोकें को भारत के परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र (BARC), मुंबई में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के दो अग्रणी क्षेत्रों नामतः लेसर एवं त्वरक के क्षेत्र में किए गए कार्यों के विस्तार के लिए स्थापित किया गया था |

भारत के राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने दिनांक 19 फरवरी, 1984 को इस केंद्र की आधारशिला रखी। प्रयोगशालाओं तथा घरों का निर्माण मई, 1984 में प्रारंभ हुआ ।

भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र, मुंबई से वैज्ञानिकों का पहला दल जून 1986 में राराप्रप्रोकें आया तथा वैज्ञानिक गतिविधियाँ शुरू की गईं ।

तब से, केंद्र लेसर, त्वरक और उनके अनुप्रयोगों में अनुसंधान एवं विकास हेतु एक प्रमुख संस्थान के रूप में तेजी से विकसित हुआ है।

राराप्रप्रोकें परिसर इंदौर शहर के बाहरी क्षेत्र में 760 हेक्टेयर के सुरम्य स्थल पर फैला हुआ है। परिसर में प्रयोगशालाओं, स्टाफ हाउसिंग कॉलोनी और अन्य बुनियादी सुविधाएं जैसे स्कूल, खेलकूद सुविधाएं, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, उद्यान आदि शामिल हैं।

अनुसंधान गतिविधियाँ

त्वरक

केंद्र ने राष्ट्रीय सुविधा के रूप कार्य करते हुए दो सिंक्रोट्रॉन विकिरण स्रोत इंडस-1 तथा इंडस-2 स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और कमीशन किए हैं। इंडस-1 ~ 61ए की एक क्रांतिक तरंग दैर्ध्य मिड-आईआर से सॉफ्ट एक्स-रे तक विकिरण उत्सर्जित करने वाला एक 450 MeV, 100 mA इलेक्ट्रॉन स्टोरेज रिंग है । इंडस-2 एक 2.5 GeV इलेक्ट्रॉन स्टोरेज रिंग है, जिसे एक्स-किरणों के उत्पादन के लिए डिज़ाइन किया गया है । इसके बेंडिंग मैग्नेट से निकलने वाले सिंक्रोट्रॉन विकिरण में ~ 2 क्रांतिक तरंग दैर्ध्य के साथ सॉफ्ट एवं हार्ड एक्स-रे क्षेत्रों को कवर करने वाले व्यापक स्पेक्ट्रम होते हैं । 172.5 मीटर की परिधि तथा 2.5 GeV की बीम ऊर्जा के साथ, इंडस-2 वर्तमान में देश का सबसे बड़ा एवं उच्चतम ऊर्जा कण त्वरक है ।

केंद्र में कई अन्य प्रमुख त्वरक गतिविधियां चल रही हैं, यथा एक समुत्खण्डन न्यूट्रॉन स्रोत के लिए एक उच्च ऊर्जा प्रोटॉन त्वरक का विकास, खाद्य विकिरणन तथा औद्योगिक अनुप्रयोगों के लिए इलेक्ट्रॉन त्वरक, टेराहर्ट्ज़ तथा त्वरक के लिए आवश्यक इन्फ्रा-रेड (आईआर) स्पेक्ट्रल क्षेत्र में स्वतंत्र इलेक्ट्रॉन लेसर (एफईएल), त्वरक के लिए आवश्यक सुपरकंडक्टिंग एवं चुंबकीय सामग्री, विभिन्न अनुसंधान एवं विकास कार्यक्रमों में सहयोग हेतु प्रगत प्रौद्योगिकियों का विकास जैसे सुपरकंडक्टिंग रेडियो-फ्रीक्वेंसी (SCRF) कैविटीज़ एवं क्रायोमोड्यूल्स, हाई पावर रेडियो-फ़्रीक्वेंसी (RF) जनरेटर, क्रायोजेनिक्स, मैग्नेट, अल्ट्राहाई वैक्यूम, प्रिसिजन फेब्रिकेशन एवं कंट्रोल इंस्ट्रूमेंटेशन ।

लेसर

यह केंद्र उद्योग, चिकित्सा और अनुसंधान में अनुप्रयोगों के लिए विभिन्न प्रकार की लेसर प्रणालियों के विकास एवं उनके उपयोग में भी शामिल है । विकसित लेजर प्रणालियों में उच्च शक्ति CO2 लेसर, फ्लैश लैंप और डायोड लेसर पंप एनडी लेसर, अर्धचालक लेसर, रासायनिक लेसर, एक्ज़ाइमर लेसर एवं उच्च ऊर्जा/ तीव्र स्पंदित लेसर सम्मिलित हैं । लेसर प्रौद्योगिकी हेतु विभिन्न प्रकार के क्रिस्टल भी विकसित किए गए हैं। औद्योगिक अनुप्रयोगों में कटिंग, ड्रिलिंग, वेल्डिंग, सतही संशोधन और तेजी से विनिर्माण शामिल हैं । यूरेनियम विश्लेषक, भूमि समतलक, कॉम्पैक्ट N2 लेसर, फोटो-कोगुलेटर, फाइबर आधारित तापमान संवेदक, सर्जिकल CO2 लेसर प्रणाली जैसे लेसर आधारित विभिन्न उपकरण विकसित किए गए हैं । लेसर प्लाज्मा इंटरैक्शन, लेसर आधारित चार्ज कण त्वरण, लेसर कूलिंग और परमाणुओं का जाल, नॉनलिनियर ऑप्टिक्स, अल्ट्रा-फास्ट डायनेमिक्स, मैटीरियल प्रोसेसिंग, टिशूज के लेसर प्रतिदीप्ति स्पेक्ट्रोस्कोपी, कोशिकाओं और पशुओं के मॉडल पर संकीर्ण बैंडविड्थ प्रकाश का प्रभाव, टर्बिड मीडिया के माध्यम से इमेजिंग, सूक्ष्म वस्तुओं का लेसर माइक्रोमैनीपुलेशन इत्यादि के क्षेत्र में केंद्र में निर्मित एवं वाणिज्यिक लेसर अनुसंधान हेतु उपयोग में लाई जा रही हैं ।


संगठनात्मक चार्ट
राराप्रप्रोकें में कार्य के घंटे
समय सारणी 09:00 AM से 05:30 PM


सर्वोतम नज़ारा १०२४ x ७६८